Chudail Ki Kahani | चुड़ैल की कहानी : चुड़ैल की कहानियां तो कई सुनी होगी। यहाँ हम आपके लिए Chudail Ki Kahani, चुड़ैल की कहानी, Bhoot Ki Kahani, भूत की कहानी, भूतिया कहानियां, Chudail Ki Kahani Chudail Ki Kahani लाते रहते है। आज भी हम आपके लिए चुड़ैल की कहानी (Chudail Ki Kahani) लाये है।
तो बिना देरी के शुरू करते है चुड़ैल की कहानी (Chudail Ki Kahani)
गावं वाली चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
पुराने समय की बात है। पालमपुर नाम का एक गांव था। जहाँ में रमेश नाम का एक आदमी रहता था। उसकी माला नाम की लड़की से नई-नई शादी हुई थी। लेकिन रमेश माला को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। ऐसे ही कुछ साल बीत जाते हैं। इन्हीं सालों में माला एक बेटे को जन्म देती है। माला को लगता था कि बच्चे के आने से रमेश बदल जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। रमेश फिर भी माला को खूब मारता है और बच्चे से भी बिल्कुल प्यार नहीं करता था।रमेश माला को आवाज लगाता है - माला..अरे माला कहां मर गई, चल बाहर निकल।
माला बोली - जी क्या हुआ? मैं मोनू को सुला रही थी उसकी तबीयत खराब है ना।
रमेश - तुझे बस मोनू के बहाने आराम करना होता है। चल जल्दी से अब अलमारी से पैसे निकाल कर ला।
माला - जी वह तो मोनू की दवाई के पैसे हैं। घर में बस वही पैसे बचे हैं। आप वह पैसे मत लेकर जाओ।
रमेश - तेरी इतनी हिम्मत,मुझसे जुबान लड़ाएगी। बोला ना जाकर पैसे ले कर आ।
माला - मैं आपको वह पैसे नहीं दूंगी चाहे कुछ भी हो जाए।
रमेश - तेरी इतनी हिम्मत, तुझे तो मैं अभी बताता हूं। देखता हूं तू मुझे कैसे पैसे नहीं देती।
रमेश अंदर जाकर अलमारी खोलता है और पैसे निकालने लगता है। माला उसको रोकने लगती है रमेश को माला पर इतना गुस्सा आता है कोने में पड़े एक डंडे को उठाकर माला को पीटने लगता है।
माला कहती हैं - मुझे मत मारो, छोड़ दो मुझे, मुझे छोड़ दो... ।
रमेश - आज तो मैं तेरा काम ही खत्म कर दूंगा।
वह माला को इतना मारता है कि माला बेहोश हो जाती है। रमेश उसे घर से खींचता हुआ खेत में लेकर जाता है।
रास्ते में एक आदमी बोला, अरे रमेश तुम यह क्या कर रहे हो पागल हो गए हो क्या?
चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
रमेश उसे कहता, अगर तू या कोई भी बीच में बोला तो उसकी भी डंडे से मार मार कर ऐसी हालत कर दूंगा। वह आदमी बोलता है अब तो कुछ बोलना भी गुनाह हो गया है। एक औरत बोली - अरे भैया आजकल किसी के घर के मामलों में बोलना नहीं चाहिए, जो हो रहा है होने दो।
रमेश माला को खेत में फेंक आता है और गांव का कोई भी व्यक्ति उसे कुछ नहीं कहता। रमेश अपने बच्चे को उठाकर माला के पास में छोड़ने है। तो माला के शरीर पर बहुत चोट लगी होती है उसके शरीर से खून बह रहा होता है और उसका बीमार बच्चा उसके बगल में पड़ा रो रहा होता है। कुछ ही देर में वहां पर खून की खुशबू से चील आकर इकट्ठा हो जाते हैं और मैं माला की शरीर को नोच नोच कर खाने लगते हैं और माला मर जाती है। रमेश को अपने बीवी और बच्चे के मरने का कोई दुख नहीं होता और कुछ समय बाद वह दूसरी शादी कर लेता है।
एक दिन कुछ लोग जब खेतों में काम कर रही होते हैं तो एक औरत अपने पति से बोलती है - मैंने पिंकू को पेड़ के नीचे लिटा दिया है आप उसका ध्यान रखना। मैं बसी पालक काट कर आती हूं।
वह कहता है ठीक है। लक्ष्मी लक्ष्मी पालक काटने में लग जाती है और रामलाल पानी पीने के लिए पास में चला जाता है। उनका बेटा टिंकू उठ कर बैठ जाता है और मिट्टी में खेलने लगता है। तभी एक औरत उसके पास आ जाती है।
तभी लक्ष्मी बोलती है यह औरत कहां से आ गई और वह अपने पति को बोलती है - जल्दी टिंकू को उससे दूर करो। तभी रामलाल उस औरत से अपने बेटे को छीनने लगता है।
तभी वह औरत चुड़ैल के रूप में बदल जाती है। लक्ष्मी और रामलाल चुड़ैल देखकर बहुत तेज खबर आ जाते हैं।
तभी लक्ष्मी बोली - हे भगवान यह क्या है? वह बोलती है आप जल्दी से टिंकू को लेकर यहां से चलो।
रामलाल बोला - मैं अभी कुछ करता तुम थोड़ा शांत रहो।
बस तभी वह चुड़ैल बोली - मैं इसको उठाकर अपने साथ लेकर जा रही हूं।
लक्ष्मी - अरे नहीं ऐसा मत करो, मेरे बच्चे को मत लेकर जाओ....
चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
लक्ष्मी चिल्लाती और रामलाल देखता रह जाता है और चुड़ैल टिंकू को अपने साथ ले जाती है। लक्ष्मी और रामलाल चुड़ैल के पीछे पीछे भागने लगते हैं.... हाय मेरा बच्चा, चुड़ैल मेरा बच्चा ले गई, अरे कोई तो बचाओ, मेरे बच्चे को, अरे कोई तो बचाओ मेरे बच्चे को... रामलाल कहता कोई तो फिर टिंकू को बचाओ, पता नहीं वह चुड़ैल क्या करेगी मेरे बच्चे के साथ। गांव वाले चुड़ैल को देखते हैं और उनको अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता।
गांव वाले बोले - यह क्या चीज है? इतनी बड़ी चुड़ैल... ऐसी चुड़ैल तो हमने कभी नहीं देखी और यह तो रामलाल के बच्चे को लेकर पता नहीं कहां जा रही है ? भगवान ही बचाए इस बच्चे को।
चुड़ैल टिंकू को लेकर पता नहीं कहां गायब हो जाती हैं और कोई कुछ नहीं कर पाता। पूरे गांव में उस चुड़ैल की खबर फैल जाती है। सब लोगों में डर बैठ जाता है। कहीं यह चुड़ैल दोबारा ना आ जाए।
अगले दिन को चुड़ैल वापस आती है। एक छोटा बच्चा अपने घर के आंगन में चारपाई पर लेटा होता है तो वह चुड़ैल वहां दोबारा जाती है। चुडैल की आवाज सुनकर उसकी दादी बाहर आ जाती है
दादी चिल्लाती है - अरे यह चुड़ैल आ गई.... अब यह चुड़ैल मेरे पोते को ले जाएगी। कोई बचाओ मेरे पोते को वह इतनी बुजुर्ग होती है कि जब तक वह अपने पोते को उठाने उसके पास जाती है, चुड़ैल उसके पोते को लेकर वहां से चली जाती है।
उस चुड़ैल के डर से गांव वाले बहुत ही डर जाते हैं। उनके मन में इतना डर बैठ जाता है कि वह अपने बच्चों को घर से बाहर निकालना ही बंद कर देते हैं।
एक दिन रमेश अपनी दूसरी बीवी से उस चुड़ैल के बारे में बात कर रहा होता है। अरे पुष्पा क्या यह बात सच है कि गांव में कि कोई चुड़ैल बच्चों को उठा उठा कर लेकर जा रही है।
पुष्पा - जी बिल्कुल सच है, न जाने भूत चुड़ैल कितने बच्चों को गांव से उठाकर ले जा चुकी है। हमारा बच्चा भी बस अभी 4 महीने का है मुझे तो बहुत ही डर लग रहा है कि मैं अपने बच्चे को उस चुड़ैल की नजरों से कैसे बचा हूं। वैसे भी मैंने सुना और चुड़ैल की नजर बहुत तेज है।
चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
रमेश - अरे पुष्पा तुम चिंता मत करो, मैं हूं ना मेरे होते हुए मेरे बच्चे को कोई चुड़ैल छू भी नहीं सकती।
रमेश अपनी बीवी और अपने बच्चे के साथ छत पर बैठा होता है कि अचानक चुड़ैल उसके बच्चे के पास आकर बैठ जाती है। पुष्पा बोलती है कि यह चुड़ैल कहां से आ गई और वह चुड़ैल उस बच्चे को अपने पास ले लेती है।
पुष्पा बोलती है - छोड़ दो मेरे बच्चे को... जाने दो हमें..
चुड़ैल - इस बच्चे का ही तो सबसे ज्यादा इंतजार था मुझे।
पुष्पा - यह मेरे बच्चे को लेकर जा रही है...
रमेश - छोड़ दो मेरे बच्चे को.... भगवान के लिए छोड़ दो इस बच्चे को।
चुड़ैल - इतना दुख, दूसरे बच्चे पर तुझे कभी तरस नहीं आया।
चुड़ैल उस बच्चे को लेकर वहां से चली जाती है। रमेश और पुष्पा रोते चिल्लाते रह जाते।
रमेश बोलता है चाहे कुछ भी हो जाए... मैं अपने बच्चे को कहीं से भी ढूंढ कर लाऊंगा। रमेश सारे गावँ वालों को इकट्ठा कर लेता है और कहता है - हमे उस चुड़ैल को पकड़ना ही होगा आखिर कब तक हमारे बच्चों को ऐसे घर में छुपा कर रखेंगे।
चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
गांव वाले - पर हम कर भी क्या सकते हैं।
रमेश - हमें एक बहुत बड़ा जाल बिछाना होगा। जिससे कि हम उस उस चुडेल को पकड़ सके। गांव वाले रमेश से सहमत होते हैं। वह एक जाल बिछा देते हैं उसके बाद मैं अपने बच्चों को बाहर खेलने के लिए छोड़ देते हैं। शाम को जब वह चुड़ैल वह आती है तो गांव वाले चुड़ैल को एक अभिमंत्रित जाल में पकड़ लेते हैं।
चुड़ैल - छोड़ दो मुझे जाने दो मुझे...
रमेश - तुम्हें ऐसे कैसे छोड़ दे। तुमने हमारे बच्चों के साथ क्या-क्या किया है, सब सच-सच बताओ।
चुड़ैल - जो तूने मेरे और मेरे बच्चे के साथ किया, वहीं किया मैंने तुम्हारे बच्चों के साथ।
रमेश - मैंने..? मैंने क्या किया तुम्हारे बच्चे के साथ।
चुड़ैल - याद कर तूने क्या किया था मेरे साथ और मेरे बच्चे के साथ.. हमें मरता हुआ छोड़ दिया और चील हमें नोच नोच कर खा गए।
रमेश - क्या तुम मेरी पहली पत्नी माला हो?
चुड़ैल - हाँ.. मैं माला हूं जो मरने के बाद मैं चुड़ैल बदल गई। उसके बाद तुमसे और इन गावों वालों से बदला लेने आई हूं क्योंकि किसी ने मेरे और मेरे बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं की थी।
रमेश - मुझे माफ कर दो... माना मैं तुम्हारा कातिल हूं। तुम मेरी जान ले लो, मुझे माफ कर दो। मैं तुम्हें और मेरे बच्चे को मार डाल दिया, मैं कितना बुरा हूं।
गांव वाले - माला हमें माफ कर दो.. हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई। हम सभी की वजह से तुम और तुम्हारा बच्चा मर गया।
चुड़ैल - मेरा बच्चा आज भी जिंदा है।
रमेश - मेरा मोनू जिंदा है?
रमेश और कुछ गाव वाले चुड़ैल के साथ एक जगह जाते है जहा सारे बच्चे खुशी से खेल रहे होते है।
चुड़ैल - मैंने किसी बच्चे को नही मारा, मै बस तुम सबको सबक सिखाना चाहती थी। वो देखो हमारा बच्चा मोनू।
रमेश रोता हुआ मोनू को गले लगा लेता है, बाकी सब अपने बच्चो को देख कर बहुत रोते है। पुष्पा बोलती है अब आपकी गलती सुधारने का वक़्त आ गया है। हम मोनू को अपने साथ रखेंगे और दोनो बच्चो को एक समान प्यार देंगे और इन सबको सबक सिखाके चुड़ैल वहा से चली जाती है।
चुड़ैल की कहानी से सीख | Chudail Ki Kahani
कहानी से सीख मिलती हैं की हमे कभी भी अपने या किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए क्योकि कर्म का फल हमे मिलता ही है।
चुड़ैल की कहानी भाग 2 पढ़े - चुड़ैल की कहानी - 2
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