दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha | Diwali Katha In Hindi Language : दीपावली का त्यौहार भारावर्ष में हर्षों उल्लास के साथ मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में दीपावली का बहुत महत्व है। कुछ लोग दीपावली को दीवाली भी कहते है।
दीपावली के दिन महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए लक्ष्मी माता का व्रत रखती है। और लक्ष्मी माता की कथा सुनती हैं। जिसे दीपावली की कथा भी कहते है। पहले के समय में परिवार के बड़े बुजुर्ग महिलाएं होती थी जो दीपावली की कथा सुनाती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ सब कुछ आधुनिक होता गया है। ऐसे में जिनके परिवार में बुजुर्ग महिलाएं नहीं हैं। वह में दिवाली की कथा सर्च करते हैं इसलिए आपको दिवाली की कथा सुनाने वाले हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha
दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha
कार्तिक कार्तिक माह की अमावस्या को दीपावली का पर्व आता है। इसी दिन हिंदू धर्म के लोग धन की देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं और अपने परिवार के साथ बड़े हर्षोल्लास के साथ दीपावली का त्यौहार मनाते हैं। जिस तरह हिंदू धर्म में दशहरा, होली, रक्षाबधन त्योहार मनाए जाते हैं वैसे ही दीपावली भी प्रमुख त्यौहार है।
हिंदू धर्म में भी होली शूद्रों का त्यौहार, रक्षाबंधन ब्राह्मणों का त्यौहार, दशहरा क्षत्रियों का त्यौहार है वैसे ही दीपावली वैश्यों का त्यौहार है जिसे सभी लोग बड़ी खुशी के साथ मनाते है।
भारतवर्ष के महान होने के कारण यहां पर सभी वर्ष के चारों बड़े त्योहारों को सभी हिंदू भाई एक साथ मनाते हैं। साल के चारों त्योहारों को चाहे प्राचीन समय में किसी वर्ण के लिए ही बताया गया हो, लेकिन वर्तमान में सभी लोग लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा अर्चना करते हैं। दीपावली से पहले ही सभी लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। कच्चे घरों की लीपापोती कर के उनको स्वच्छ बनाया जाता है और दीपावली के दिन घी के दिए जलाकर पूरे घर में रोशनी की जाती हैं। बच्चे पटाखे और आतिशबाजी करते हैं।
लोग दीपावली की तैयारियां महीने भर पहले से ही शुरु कर देते हैं। नए कपड़े खरीदना, घर को रंगना, घर को सजाना और भी कई तरह की तैयारियां करते हैं और लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए दीपावली के दिन नए कपड़े पहनते हैं। कुछ लोग मंदिरों, गांव, शहरों में गरीब लोगों को दान दक्षिणा देकर दीपावली मनाते हैं।
2022 में दीपावली कब है?
दीपावली का त्यौहार वर्ष 2022 में 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाएगा जिसकी तिथियां निम्न प्रकार है।
दूसरा दिन » छोटी दिवाली 23 अक्टूबर 2022
तीसरा दिन » दिवाली 24 अक्टूबर 2022
चौथा दिन » गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर 2022
पांचवा दिन » भाई दूज 26 अक्टूबर 2022
दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha
एक साहूकार की बेटी थी जो रोजाना पीपल का पेड़ खींचने जाती थी। एक दिन पीपल के पेड़ में से लक्ष्मी निकलती और आती हैं। इस दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा कि तू मेरी सहेली बन जा तो साहूकार की बेटी कहती है कि मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगी और तब कल सहेली बन जाऊंगी।
घर जाकर साहूकार की बेटी ने साहूकार को पूरी घटना के बारे में बताया। तब साहूकार ने कहा कि वह लक्ष्मी जी हैं और हमें क्या चाहिए। तू उनकी सहेली बन जा दूसरे दिन जब पीपल सींचने आई तब लक्ष्मी जी भी आती हैं और वे दोनों सहेली बन जाती है। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी को अपने घर भोजन के लिए न्योता दिया।
जब साहूकार की बेटी लक्ष्मी जी के घर भोजन के लिए जाती हैं तो लक्ष्मी जी ने उसको ओढ़ने के लिए शॉल देती है। सोने की चौकी पर बैठाया और सोने की थाली में विभिन्न प्रकार के व्यंजन से भोजन कराया। जब साहूकार की बेटी खाना खाकर भोजन करने के पश्चात वापस घर लौटने के लिए निकलने लगी। तब लक्ष्मी जी ने हाथ पकड़ लिया और कहा कि मैं भी तेरे घर भोजन के लिए आऊंगी।
तब साहूकार की बेटी ने कहा ठीक है आ जाना। इसके पश्चात साहूकार की बेटी घर आकर साहूकार को बताती हैं कि लक्ष्मी जी ने मुझे सोने के थाली में भोजन कराया और ओढ़ने के लिए शाला दुशाला भी दी और अब वह हमारे घर भोजन के लिए आना चाहती हैं लेकिन मैं उन्हें किस प्रकार भोजन कर आऊंगी क्योंकि हमारे यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं है।
साहूकार ने कहा बेटी जो तुम खाने में अच्छा बना सको, वह बना लो और घर की साफ सफाई कर दो। घर को मिट्टी गोबर से चौका देकर चारों तरफ दीपक जलाकर बैठ जाओ। तभी जाती हैं तभी एक चील किसी रानी का हार उठा कर लाती है और साहूकार की बेटी के पास डाल कर चली जाती है।
साहूकार की बेटी ने उस सोने के हार से सोने की थाली, सोने का शाला दुशाला और विभिन्न प्रकार के भोजन की तैयारियां करती हैं इसके पश्चात आगे-आगे गणेश जी और लक्ष्मी जी साहूकार के घर आ जाते हैं। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को सोने की चौकी पर बैठने के लिए कहा लेकिन लक्ष्मी जी चौकी पर बैठने से मना कर देती हैं कि इस पर तो राजा रानी बैठते हैं। तब साहूकार की बेटी ने प्रसन्न होकर लक्ष्मी जी और गणेश जी की बहुत आओ भगत की। उनको सम्मान के साथ भोजन कराया, जिसके पश्चात लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई और साहूकार को बहुत धन दौलत लेकर गई।
हे लक्ष्मी माता जैसे साहूकार की बेटी की सुनी वैसे सबक सुनो कहानी सुनते की कहानी पढ़ने की और हुंकार भरते की।
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दिवाली पर कहानियाँ | Diwali Stories in Hindi
दीपावली से संबंधित कई कहानियां प्रचलित है। मुख्य कहानियों के बारे यह बताया है। जो निम्न प्रकार है।
दिवाली कथा 1#
कहते हैं कि कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक का लोक का इंद्र बनाया था। जिसके पश्चात इंद्र ने धूमधाम से दिवाली दीपावली मनाई और कहा कि राजा बलि से मेरा सिंहासन बच गया
दिवाली कथा 2
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी और उन्होंने भगवान विष्णु को अपना पति स्वीकार किया था।
दिवाली कथा 3
जब भगवान श्री रामचंद्र जी अपना 14 साल का वनवास पूर्ण करके अयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही श्री रामचंद्र जी का राजतिलक किया था और चारों तरफ घी के दीपक जला कर उनका स्वागत किया था।
हिंदू धर्म में दीपावली मनाने के पीछे रामचंद्र जी की कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि 14 साल का बनवास वनवास काटने के पश्चात जब श्री राम रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या नगरी लौटे थे तब समस्त अयोध्या वासियों ने चारों तरफ घी के दीपक जला कर, श्री रामचंद्र जी का स्वागत किया और बड़े हर्ष उल्लास के साथ इस दिन को मनाया।
लगभग लगभग 15 साल बाद अपने राजा श्री रामचंद्र जी से मिलकर जनता बहुत खुशी हुई और उन्होंने रामचंद्र जी के तिलक के लिए पूरे नगर में उत्सव का आयोजन किया जिसके पश्चात इस दिन को दीपावली के रूप में के त्योहार के रूप में मनाया जाता है उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा का दिन था जो दीपावली का त्यौहार बन गया।
दिवाली कथा 4
दीपावली की कथा के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को के दिन राजा विक्रमादित्य ने अपने संवत की शुरुआत की थी। जिसके मुहूर्त के लिए बड़े-बड़े विद्वानों को बुलाया था और इस संवत की शुरुआत चेत्र सुदी प्रतिभा से चलाया जाए।
दिवाली कथा 5
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही आर्य संस्थापक समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद का निर्माण हुआ था।
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दिवाली की पूजा विधि हिंदी में (Diwali Puja Vidhi In Hindi)
दीपावली की कथा के अनुसार लक्ष्मी जी की पूजन करना अनिवार्य है। लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए दीपावली की कथा सुनने के पश्चात विधिवत पूजा अर्चना की जाती हैं जिस की विधि निम्न प्रकार हैं।
सर्वप्रथम दीवार को सफेदी से पोते से दीवार पर यह हुआ रंग से गणेश जी की और लक्ष्मी जी की सुंदर मूर्ति बनावे। इसके पश्चात अपने इष्ट देवी देवताओं को मानते हुए मंदिर में जाकर उनकी पूजा करें और साथ में जल, रोली, चावल, खेल, पतासे, गुलाल, अबीर, फूल, नारियल, मिठाई, धूप, दक्षिणा, दियासलाई आदि सामग्री लेकर जावे और पूजा करें विधिवत पूजा करें। इसके पश्चात मंदिर से वापस आने के बाद अपने घर में ठाकुर जी की भी पूजा अर्चना करें।
गणेश जी लक्ष्मी जी और गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा बाजार से ले आवे और सपने व्यापारिक स्थान पर बही खातों सहित पूजा अर्चना करें और हवन करवा दें गद्दी की पूजा करें और हवन आदि के लिए पंडित जी से पता करके पूजन सामग्री इकट्ठा कर ले। घर में जो पकवान बने हैं उन सभी का देवी देवताओं को भोग लगावे और कुछ मात्रा में ब्राह्मण को निकाल कर दे दे।
दीपावली से पहले धनतेरस के दिन धन के देवता धनपति कुबेर जी विघ्न विनाशक गणेश जी और राज्य सुख के दाता इंद्रदेव समेत समस्त मनुष्य को पूरा करने वाले भगवान विष्णु और माता सरस्वती तथा धन की देवी लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा करें। दीपावली के दिन घी के दिए जलाएं इनका बहुत महत्व है इसके लिए 2 थानों में दीपक रखें और छह तथा चौमुखा दीपक को को थानों में सजाएं। 26 छोटे दीपू को में तेल बत्ती रखकर जलाएं। इसके पश्चात रोली जल खीर पतासे चावल फूल गुल अभी धूप गुलाल आदि से उन्हें टीका करें एवं पूजा करें। फिर गद्दी पर विराजमान धन की देवी लक्ष्मी तथा विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करें। स्त्रियां पूजा करें पूजा करने के पश्चात सभी दीपों को घर में अलग-अलग स्थान पर रख दें। एक चौमुखा दीपक गणेश जी तथा लक्ष्मी जी के पास रहने दे। शिव परिवार की सभी स्तरीय लक्ष्मी जी का व्रत करें और जितनी अपनी श्रद्धा अनुसार बहू बेटियों को दक्षिणा दे। घर के सभी छोटे अपने माता-पिता तथा बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करें और आशीष लेवे
लक्ष्मी पूजन विधि
जिस जगह पर लक्ष्मी जी और गणेश जी को स्थापित किया है उनके आगे एक चौमुखा दीपक तथा छ: छोटे दीपको में घी डालकर रखें तथा रात्रि के 12:00 बजे के पश्चात पूजा किया करें। दूसरे दुपट्टे में लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चांदी या मिट्टी के गणेश जी हो रखे हो उनके आगे 101 रुपए की दक्षिणा अर्पित करें।
एक एक्स बर्तन में। दक्षिणा मूली, चार केले, गुड़, हरी ग्वारफली, मिठाई, 4 सुहाली आदि लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करें। और गणेश जी और लक्ष्मी जी के सामने दीपक जलाकर सबकी पूजा करें। एक तेल का दीपक जलाकर उसका काजल उतार ले, तथा परिवार की स्त्री पुरुष आंखों में लगावे।
दीपावली की पूजन के रात के समय सोकर उठे तो स्त्रियां सूप बजाकर गाती हैं। सूप गाने का मतलब है की लक्ष्मी जी का घर में वास हो गया है। और दरिद्रता घर से निकल चुकी है। इसलिए घर की स्त्रियां सूप गाती है। सूप गाते समय स्त्रियां यह गीत गाती है।
काने भेड़े दरिद्र तू, घर से निकल जा अब भाजतेरा यहाँ कुछ काम नहि, वास लक्ष्मी आजनहि आगे डंडा पड़े और पड़ेगी मारलक्ष्मी जी बसती जहाँ, गले न तेरी दारफिर तू आवे जो यहाँ होवे तेरी हारइज्जत तेरी नहि करे झाड़ू ते दे मार
फिर घर में आकर स्त्रियाँ कहती हैं इस घर से दरिद्र चला गया हैं हे लक्ष्मी जी आप निर्भय होकर यहाँ निवास करिये।
FAQ : दिवाली की कथा | Deepawali ki Katha
Q1 : दीवापली की कथा किससे संबंधित है ?
दीवापली की कथा भगवान श्री राम और धन की देवी लक्ष्मी जी के बारे में है।
Q2 : दीवापाली 2022 में कब है?
वर्ष 2022 में दीपावली 24 October को है।
Q3: दीपावली कब मनाई जाती हैं? हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार?
हिंदू धर्म ग्रंथों में निहित तिथि के अनुसार दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती हैं।
निष्कर्ष : दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha
आशा है दोस्तों आपको दीपावली की कथा | Deepawali ki Katha के बारे में दी गई जानकारी अच्छी लगी है। दिवाली की कथा | Deepawali ki Katha को अपने दोस्तों और परिवार के लोगो के साथ साझा करें। ताकि परिवार में जिन भी लोगो ने दिवाली की कथा | Deepawali ki Katha नही सुनी। वे सुने और दीपावली व्रत करें। इस लेख से संबंधित आपका कोई सवाल है तो Comments बॉक्स में पूछे। हम जल्दी ही जवाब देंगे।