Real Horror Story In Hindi | Chudail Ki Kahani | चुड़ैल की कहानी

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भूतिया कहानियां की कड़ी में आज हम आपको चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना से जुडी चुड़ैल की कहानी पढ़ने को मिलेगी। 

तो चलिए शुरू करते है चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना (Chudail Ki Kahani)

चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना

ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि भूत, प्रेत और चुड़ैल हर किसी को नुकसान पहुंचाते है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी चुड़ैल के बारे में बताने जा रहे है। जिसने अपने इलाके के लकड़ी के कारीगरों को काम दिलवाया और उनके बिजनेस को बढ़ाने में हर प्रकार की सहायता की।

जिस कारण वहां रहने वाले लोगों को ये पता चलने के बाद भी कि वहां एक चुड़ैल रहती है, उस जगह को छोड़कर नहीं जाना चाहते। वहां रहने वाले कारपेंटर का तो यह भी मानना है कि उस खाली पड़े प्लॉट की चुड़ैल उनके अधूरे काम को भी पूरा कर देती है।

आखिर कौन थी वह चुड़ैल |Real Horror Story In Hindi

आइए हम आपको बताते हैं लोगों की सहायता करने वाली उस उदार ह्रदय वाली चुड़ैल की कहानी क्या है? लोगों पर दया करने वाली यह चुड़ैल कहां रहती है और खाली प्लाट वाली चुड़ैल की कहानी का सच क्या है?

उत्तर प्रदेश के जिले मिर्जापुर में पकरी रोड पर एक नीम की बगिया वाला मोहल्ला है। इस मामले में एक मकान के पास खाली पड़े प्लाट का रहस्यमई किस्सा है। इस खाली पड़े प्लाट में पीपल का पेड़ था वह बहुत ही पुराना था। यह रहने वाले लोगों का मानना हैं कि इस खाली पड़े प्लॉट के पीपल के पेड़ पर किसी चुड़ैल का घर है। जिसके रोने, हंसने और चीखने-चिल्लाने की आवाजें अधिकतर लोगों को सुनाई देती है।

आप पढ़ रहे है प्लॉट वाली चुड़ैल की कहानी

लेकिन आज तक इस चुड़ैल ने यहां रहने वाले लोगों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाया है। इस मोहल्ले के मकानों और खाली पड़े प्लॉट के सामने एक बड़ी-सी सड़क है। इस सड़क के नजदीक काफी लकड़ी के कारीगरों ने अपनी दुकानें खोल रखी थी। लेकिन काफी महीनों तक कोई कस्टमर नहीं आता था। वहां के लोग यही कहते कि तुम लोगों ने अपनी दुकानें गलत जगह पर खोल रखी है। 

लोग कहते इस मकान के पास खाली पड़े प्लाट के पीपल के पेड़ पर रहने वाली चुड़ैल कभी किसी का भला नहीं चाहती। लोगों का मानना था कि देर रात गए वह चुड़ैल नजर आती। लोगों का कहना था कि वह चुड़ैल अपने बिखरे बालों के साथ कभी पीपल के पेड़ पर तो कभी खाली प्लॉट के बगल वाले मकान की छत पर लोगों को दिखाई देती है। लेकिन उस चुड़ैल ने कुछ ऐसा किया जो आप कभी सोच नहीं सकते।

सुभाष चंद नाम के एक व्यक्ति ने नीम की बगिया वाले इस मोहल्ले में लकड़ी के काम की एक दुकान खोली थी। लगातार तीन महीनों तक दुकान का किराया दिया जा रहा था लेकिन दुकान पर काम न मिलने के कारण उसके परिवार को भूख से मरने की आफत आन पड़ी।

एक दिन अचानक न जाने उसके मन में क्या ख्याल आया वह उस खाली पड़े प्लॉट की तरफ चल दिया जहां वही पीपल का पेड़ लगा था जिसके लिए लोगों का कहना था कि पीपल के पेड़ पर चुड़ैल रहती है। वह उस पीपल के पेड़ के नीचे बैठा और फूट-फूट कर रोने लगा। उसे पिछले 3 महीनों से काम का कोई आर्डर नहीं मिला था।

वह रोते रोते कह रहा था की अब मेरे परिवार का क्या होगा। मैं अपने परिवार का पेट कैसे भरुगा? मैं दुकान का किराया कहां से दूंगा? अब मुझे विवश होकर यह दुकान छोड़नी ही पड़ेगी। सुभाष रोया ही जा रहा था। उसकी आंसुओं की बूंदे उस खाली प्लाट के पीपल के पेड़ की जड़ों में गिरे जा रही थी क्योंकि वह उस पीपल के पेड़ के नीचे निराश और हताश बैठा था। तभी सुभाष  को ऐसा लगा कि किसी ने उसके कंधों पर हाथ रख दिया।

Real Horror Story In Hindi | Chudail Ki Kahani

किसी का कंधे पर हाथ रखा जाना सुभाष के मन में आशा की किरण जगा रहा। जब उसने पलट कर देखा तो वहां कोई नहीं था। उसे क्या पता था कि सकारात्मक ऊर्जा के साथ में चुड़ैल सुभाष के पास आ गई। शायद उस चुड़ैल को निराश सुभाष पर दया आ गई हो।

वह चुड़ैल निश्चित ही बढ़ई सुभाष की सहायता करना चाहती थी। तभी सुभाष को ऐसा लगने लगा कि इस पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर उस पर तनाव दूर हो रहा था। बढ़ई सुभाष रोज इस पीपल के पेड़ के नीचे बैठने लगा और उस पीपल के पेड़ के नीचे की गंदगी को साफ करता। वह नित्य ही इस पीपल के पेड़ को जल अर्पण करने लगा।

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अब जब सुभाष अपने घर से दुकान के लिए निकलता तो पहले उस खाली पड़े प्लाट के उस पीपल के पर जल चढ़ाता इसके बाद ही अपनी दुकान पर जाता था। लोग सुभाष को माना करने लगे की यह तुम क्या कर रहे हो? तुम इस खाली पड़े प्लाट के उस पीपल के पेड़ की तरफ मत जाया करो निश्चित ही एक दिन यह चुड़ैल मौत के घाट उतार देगी।

लेकिन सुभाष लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देता था। सुभाष उस पेड़ के नीचे इसलिए जाता था कि उसे वहां जाकर ऊर्जा प्राप्त होती थी। लेकिन सुभाष यह बात किसी को नहीं बताता क्योंकि उसे डर था कि लोग उसकी इस बात पर उसकी हंसी उड़ाएंगे। पीपल के पेड़ वाली चुड़ैल शायद सुभाष को अपनी जुल्फों की छाया देने लगी थी। जबकि यह मजाक नहीं सच था जिसका रहस्य बाद में खुला।

धीरे-धीरे सुभाष के जीवन में बदलाव आने लगा। उसे लकड़ी के काम के लिए आर्डर आने लगे उसके पास दूर-दूर के कस्टमर भी आने लगे थे। सुभाष जब किसी कारपेंटर से पूछता कि तुम्हें मेरी दुकान का पता कैसे चला? तब सचमुच कारपेंटर का जवाब सुभाष के लिए आश्चर्यजनक होता था।

आने वाले कुछ कस्टमर कारपेंटर सुभाष से कहते कि मुझे तुम्हारी दुकान मेरे स्वप्न में नजर आई। जिसमें सुंदर-सुंदर फर्नीचर रखे हुए थे। सुभाष को यह बात सुनकर बड़ा अचरज हुआ। क्यों लोगों को मेरी दुकान स्वप्न में नजर आने लगी? वह सोचने लगा कि यह चमत्कार उस चुड़ैल का तो नहीं जो खाली प्लाट के पीपल के पेड़ पर रहती हैं? जहां मैं रोज जाया करता हूं।

लेकिन उसने यह रहस्य अपने दिल में ही रखा वह इन सभी के बारे में बहुत कम सोच और अपने काम को मेहनत लगाकर किया करता था। कुछ ही दिनों में सुभाष के अच्छे काम की प्रसिद्धि आसपास के नगरों में होने लगी। साल ही भर में उसने दुकान में काम करने के लिए दो अन्य करीगरों भी रख लिया था। कुछ ही दिनों में दुकान का दृश्य वैसा ही नजर आने लगा जैसे की कुछ कस्माटरों ने उससे वर्णन किया था। चारों तरफ फर्नीचर से सजी दुकानें अब सुभाष फर्नीचर शॉप के नाम से जाने जाने लगी थी एक बार एक औघड़ बाबा सुभाष की दुकान पर आए थे। उसने सुभाष के मस्तक को देखते ही कहा तुम जानते हो बच्चे तुम्हारी इस तरक्की के पीछे किसका हाथ है? सुभाष ने हैरियत से पूछा बाबा किसका?

Real Horror Story In Hindi | Chudail Ki Kahani

तब उन्होंने बताया कि तुम्हारी इस तरह तरक्की करने के पीछे एक चुड़ैल का हाथ है जो तुम पर कृपा बरसा रही है। सुभाष इस हकीकत को जानकर हैरान हो गया। सुभाष को कुछ दिन पहले हुए एक चमत्कार का ध्यान आया। कुछ दिनों पहले सुभाष को एक सोफा सेट का ऑर्डर आया था। जिससे 1 हफ्ते में ही पूरा करना था लेकिन बीच में ही बढ़ाई सुभाष बीमार हो गया था उसने 2 दिन बिस्तर पर ही बिताए। 2 दिनों बाद जब सुभाष चंद ने पूरी लगन के साथ काम शुरू किया तो रविवार तक सोफा और उसकी चेयर भी तैयार हो चुका थी। उसने उसकी पॉलिश भी कर दी थी उस दिन सुभाष घर नहीं गया। उसने सोचा की आज फर्नीचर को पॉलिश करके ही घर जाऊंगा।

वह रात दस बजे तक दुकान में काम करता रहा। अब वह बहुत थक चुका था। पॉलिश का थोड़ा ही काम बचा हुआ था। बाकी काम कल सुबह कर लेंगे। ऐसा सोचकर सुभाष सो गया। सुबह जब उसकी नींद खुली तो 10:00 बज चुके।

उसकी नींद तब खुली थी। जब उसे बाहर किसी के पुकारने की आवाज सुनाई दी। सुभाष हड़बड़ा कर उठा देखा तो बाहर साहब आए थे। जिनका वह फर्नीचर बना रहा था। उन्होंने ने फर्नीचर बनाने के लिए केवल 1 सप्ताह का समय दिया था। आज वह पूरा हो चुका था। उस व्यक्ति ने सुभाष से पूछा कि क्या मेरा सोफा सेट तैयार है इससे पहले सुभाष मना करता उस व्यक्ति की नजर अपने फर्नीचर पड़ी, तो सुभाष हैरान रह गया। क्योंकि बाकी बची हुई पॉलिश किसने की। अब सुभाष चक्कर में पड़ गया था।

इस रहस्यमय  घटना को सुभाष ने काफी दिनों तक अपने सीने में दबाए रखा। लेकिन फिर बाद में अपने घनिष्ठ मित्र के सामने यह बात रखी उसका मित्र हैरान थे।

आप इस बात को सच समझे या झूठ लेकिन हमारे चारों तरफ कुछ अदृश्य शक्तियां उपस्थित रहती है। इन शक्तियों में कुछ अच्छी होती है और कुछ बुरी। लेकिन इन आत्माओं की आहट को हम महसूस कर सकते है।  कभी हम कभी इन को नजर अंदाज कर देते है।

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