Rahasyo ki Duniya पर हम आपके लिए Chudail Ki Kahani, भूतिया कहानियां, भूत और चुड़ैल की कहानी, चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना,चुड़ैल की कहानी, बच्चों की भूतिया कहानी लाते रहते है।
भूतिया कहानियां की कड़ी में आज हम आपको चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना से जुडी चुड़ैल के आंसू की कहानी पढ़ने को मिलेगी। इस चुड़ैल की कहानी में आप पढ़ेंगे की कैसे अत्याचार से परेशान होकर एक सीधी साधी लड़की छुड़ाएं बनती है।
तो चलिए शुरू करते है Chudail Ki Kahani - चुड़ैल के आंसू
चुड़ैल के आंसू | Chudail Ki Kahani | चुड़ैल की कहानी
मदन अपनी मां और भाई भाभी के साथ केशव नगर में रहता था। मदन पेशे से डॉक्टर था और केशव नगर में मदन का खुद का ही कलीनीक था। मदन कभी-कभी गांव-गांव जाकर फ्री कैंप लगाया करता था ताकि गरीब और असहाय लोगों का मुफ्त में इलाज कर सके। गरीब लोगों का इलाज कर के मदन को बहुत खुशी मिलती थी।
एक बार की बात है एक गांव में लोगों का फ्री इलाज कर रहा होता है की तभी उसके क्लिनिक में एक रेखा नाम की लड़की आती है। उस लड़की को देखते ही मदन को उस से प्यार हो जाता है और शादी करके उसे अपने घर ले जाता है।
रेखा - अजी आपने मुझसे शादी तो कर ली है पर क्या आपके घर वाले मुझ जैसी गरीब गांव की लड़की को अपनाएंगे।तब मदन कहता हैं - अरे क्यों नहीं अपनाएंगे। आखिर इतनी सुंदर लड़की को कोई भला अपने घर की बहू क्यों नहीं बनाना चाहेगा। अरे बल्कि मां और भाभी तो तुम्हें देखकर बहुत खुश हो जाएंगे।
थोडी देर बाद मदन की मां और भाभी आ जाती है।
मदन कहता है - यह लो मां और भाभी भी आ गई।
मदन की मां और भाभी भी बहुत ही तेज तरार थी।
भूत और चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
तभी मदन की मां कहती है - यह क्या मदन तुमने हमसे बिना पूछे इस गांव की गवार लड़की से शादी कर ली। अरे ना जाने ये कौन है? इसका खानदान कैसा है और हैसियत में हमारे बराबर है भी कि नहीं। यह सब जाने बिना बस तुम इसे उठाकर अपने घर ले आए।
मदन अपनी मां से कहता है - मां यह तुम कैसी बातें कर रही हो तुम ही तो कहती थी कि मेरी खुशी में ही आपकी खुशी है।
मदन की भाभी मां से कहती है - अरे मां आप भी ना जरा जरा-सी बात पर गुस्सा करने लगती है। जरा देखो तो मदन कितनी सुंदर बहू लाया है ढूंढने से भी ऐसी बहू नहीं मिलेगी।
भाभी मदन से कहती है - तुम दोनों अपने कमरे में जाओ और आराम करो सफर में थक गए होगे ना, तो जाओ और आराम करो।
मां मदन की भाभी से कहती है - तूने मुझे बोलने क्यों नहीं दिया।
मदन की भाभी - अब तो शादी हो गई है ना कुछ बोलने से क्या फायदा।
अगला दिन होता है। मदन की मां रेखा से कहती है मदन को जल्दी क्लीनीक जाना होता है इसलिए रसोई में जाकर जल्दी से नाश्ता बना दो।
तभी मदन आता है और अपनी मां से बोलता है मां रेखा कहीं नजर नहीं आ रही।
मां बोलती है - अरे बेटा वह तो रसोई में तेरे लिए नाश्ता बना रही है। मैंने रेखा को कहा भी कि कुछ दिन रहने दे यह कामकाज पर उसने मेरी सुनी ही नहीं। कहने लगी कि आज से सब का नाश्ता में बनाऊंगी। तभी रेखा मदन का नाश्ता लेकर आ जाती है।
तभी मां बोलती है - कि ले मदन आ गया तेरा नाश्ता।
मदन नाश्ता करके जल्दी से क्लीनिक चला जाता है।
तभी मदन की भाभी रेखा से बोलती है - रेखा नाश्ता तो तुमने बहुत ही बढ़िया बनाया है। अब जरा खाना बनाने की भी तैयारी कर लेना क्योंकि अब से खाना भी तुम ही को बनाना है और हां उससे पहले मेरे कपड़े स्त्री करके देना। क्यों कर तो दोगी ना तुम मेरे कपडों को स्त्री?
मां बोलती है - अरे करेगी कैसे नहीं अगर इस घर की बहू बनकर रहना है तो यह सब काम तो करने हीं होंगे।
रेखा बोलती है - माजी आप चिंता मत कीजिए मैं यह सब काम कर लूंगी। रेखा को सभी काम करते-करते रात हो जाती है।
तभी मां रेखा से बोलती है - अरे वाह बाहू तुमने तो सब काम कर लिया और रात का खाना भी मना लिया। अब जाकर कुछ देर अपने कमरे में आराम कर ले जब मदन आएगा तो मैं तुम्हें बुला लूंगी।
कुछ देर बाद मदन क्लीनिक से घर आता है और बोलता है मां बहुत जोरों की भूख लगी है जल्दी से टेबल पर खाना लगा दो।
तभी मां खाना लेकर आती है और कहती है ले बेटा आज मैंने तेरे पसंद की सब्जी बनाई है। तब मदन बोलता है मां यह सारा खाना आपने बनाया है।
तब मां बोलती है - हां बेटा यह सब मैनें हीं बनाया है। मैंने रेखा को खाना बनाने के लिए कहा था पर वह कहने लगी की मैं बहुत थकी हुई हूं। मुझे अपने कमरे मे जाकर आराम करना है। फिर मैंने हीं सब खाना बना लिया, क्यों तुझे खाना पसंद नहीं आया क्या?
तब मदन बोलता है - अरे मां खाना तो बहुत ही स्वादिष्ट है।
अगले दिन मदन के क्लीनिक जाते ही मदन की भाभी रेखा से घर का पूरा काम कराती है। बेचारी रेखा आखिर करती भी क्या। मां और भाभी जो भी काम करने को कहती रेखा वो सब करती। और अगर रेखा कोई काम करने को मना करती तो मां और भाभी रेखा को खूब को खरी-खोटी सुनाते, इसलिए रेखा चुपचाप घर का सभी काम करती।
एक दिन रेखा रसोई में काम करते हुए रोते-रोते बोलती हैं कि भगवान अपनी शादी को लेकर मैंने जाने कितने अरमान सजाए थे पर सब के सब चूर-चूर हो गए। यह लोग मुझसे इतना ज्यादा काम करवाते है और ना करो तो गांव की गवार होने का ताना देती है। हे भगवान आखिर में क्या करूं अगर मदन जी को कोई बात बताऊं तो वह यकीन नहीं करेंगे। मैं क्या करूं भगवान इतना कहकर रेखा रोने लगती है। इस तरह रोते हुए रेखा घर का काम करती है।
तभी मदन की भाभी आकर रेखा से बोलती है अरे ओ महारानी काम खत्म हुआ या फिर रोने धोने में ही सारा समय निकाल दिया। शाम को मेरी मम्मी-पापा घर आ रही है। तुम जरा ध्यान रखना कि उनके स्वागत में कोई कमी नहीं होनी चाहिए और खाने के साथ-साथ मीठी खीर बनाना।
रेखा सब बनाने की तैयारी कर रही होती है। तभी उसकी अंगुली कट जाती है और उसमें से खून निकलने लगता है।
रेखा रोते हुए मां के पास जाती है और बोलती है - मां मेरी अंगुली सब्जी काटते वक्त कट गई। बहुत दर्द हो रहा है और खून तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा।
मां बोलती है - हे भगवान यह क्या तोता पाल लिया तूने। अरे कुछ पता भी है शाम को बड़ी बहू के मम्मी-पापा घर आ रहे है और तुमने उगंली काट मारी।
चुड़ैल की कहानी | Chudail Ki Kahani
तब मदन की भाभी बोलती है - अरे अरे यह क्या कर लिया तुमने। मां इसको तो बहुत खून निकल रहा है मैं इसे देवर जी के क्लीनिक ले जाती हूं।
फिर भाभी रेखा को मदन के क्लीनिक ले जाती है और मदन रेखा की उंगली पर पट्टी कर देता है।
मदन बोलता है - रेखा कैसे काम करती हो कितनी ज्यादा उंगली कट गई हैं। थोड़ा ध्यान से काम किया करो। ठीक है अभी तो मैंने पट्टी कर दी है अब खून नहीं निकलेगा। अब तुम आराम से घर जाओ शाम को मैं जल्दी घर आ जाऊंगा।
फिर भाभी रेखा को घर ले आती है।
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तभी मां गुस्से से बोलती है - अरे क्या जरूरत थी। पट्टी कराने की।
तब भाभी बोलती है - अरे मां अगर पट्टी नहीं कराती तो खून बहता रहता और खाना कौन बनाता।
तब रेखा बोलती है - भाभी अब मैं खाना कैसे बना पाऊंगी मेरी अंगुली में तो बहुत दर्द हो रहा है।
मां बोलती है - अरे जबान चलाती हैं तो खाना भी तू ही बनाएगी और घर का काम भी तू ही करेगी। आई बात समझ में।
तब रेखा रोते हुए बोलती है - माजी मेरी गलती क्या है? मुझसे आप ऐसे कैसे बात करती हैं। एक तो पहले ही मुझे गरीब का कोई नहीं और ऊपर से आप और भाभी मुझसे गलत बर्ताव करती हैं। मेरी गलती क्या है ?
तेरी गलती यही है कि तूने मेरे बेटे से शादी की। अरे मैंने सोचा था कि किसी बड़े घर की लड़की से अपने मदन की शादी करूंगी। पर तुमने मेरे सभी अरमानों पर पानी फेर दिया। अब जाओ और मेरा दिमाग ना खराब करो। जाओ और काम करो।
रेखा रसोई में काम करने लगती है पर उसकी अंगुली में बहुत दर्द हो रहा था और दर्द से रोते हुए वह सारा काम करती है। काम खत्म करके रेखा कुछ देर घर से बाहर चली जाती है और नाले के पास खड़े होकर रोने लगती है। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। ऐसा बोल कर एक नाले में कूद जाती है। मरने के बाद एक चुड़ैल का रूप ले लेती है और बोलती है कि मैं जीते जी मां और भाभी को सबक नहीं सीखा पाई पर मैं अब मरने के बाद उन्हें सबक जरूर सिखाऊंगी।
ऐसा बोलकर चुड़ैल फिर से रेखा का रूप ले लेती है और घर आ जाती है।
तभी मदन बोलता है रेखा तुम सब किसी को बताए कहां चली गई थी हम सब तुम्हारे लिए कितने परेशान हो रहे थे। तुम्हें कुछ पता भी है तब भाभी बोलती है देखो ना देवर जी यह आपकी बहू कितनी कामचोर हो गई है। आज सारा खाना मैने बनाया और घर का काम मैंने किया है। अरे यह तो रोज ही ऐसा करती है। काम के वक्त न जाने कहां चली जाती हो और फिर घर का सारा काम मुझे और मां को करना पड़ता है।
मदन रेखा से बोलता है - रेखा है यह मैं क्या सुन रहा हूं। अब रेखा कहती है मां और भाभी झूठ बोल रही है। खाना मैं बनाकर ही घर से बाहर गई थी और रोज मैं ही घर का सारा काम करती हूं। रेखा रोते हुए चुड़ैल के रूप में आ जाती है।
रेखा को चुड़ैल के रूप में देखकर मां, भाभी और मदन सभी के होश उड़ जाते है।
डायन की आवाज | डायन की कहानी
तब मदन बोलता है - रेखा यह तुम चुड़ैल कैसे बन गई। तब रेखा बोलती है। मां और भाभी रोज मुझ पर अत्याचार करती थी और आपको कुछ भी बताने के लिए मना करती थी और आप भी मां और भाभी की बातों में आकर मुझे ही गलत समझते थे इसलिए इन सब से परेशान होकर मैंने नाले में कूदकर अपनी जान दे दी और अब इन दोनों को मैं नहीं छोडूंगी। बहुत अत्याचार किए हैं मुझ पर। मैं दिन-रात रोती रही पर इन्हें मुझ पर जरा भी तरस नहीं आया।
तब मदन की मां बोलती है - चुड़ैल जी आप रोना बंद कीजिए देखो आपके आंसुओं से पूरा घर भरा जा रहा है आप रोना बंद करो। मैं मानती हूं कि मुझसे गलती हुई है पर तुम हमें कुछ मत करना। मैं हाथ जोड़कर तुमसे माफी मांगती हूं।
तब मदन की भाभी बोलती है - हां हां चुड़ैल जी हमें माफ कर दीजिए। पर चुड़ैल रोना बंद नहीं करती और और उसके आंसू उस पूरा घर भरने लगता है।
तब भाभी बोलती है अरे मदन इसको चुप कराओ। इसके आंसुओं से पूरा घर भरा जा रहा है। चुप नहीं हुई तो घर में बाढ़ आ जाएगी।
तब चुड़ैल बोलती है - अब पता चलेगा तुम्हें मेरे आंसुओं की कीमत। बहुत रुलाया मुझे अब देख लो सब के सब इन्हीं आंखों में डूब कर मरेंगे।
तब मदन रोते हुए बोलता है - रेखा यह तुमने क्या कर लिया तुमने अपनी जान देकर सही नहीं किया। मां और भाभी मुझे आप दोनों से ही ऐसी उम्मीद नहीं थी। मैं नहीं जानता था कि आप दोनों रेखा के साथ ऐसा बर्ताव करते हो इसलिए आप दोनों को सजा तो मिलनी चाहिए।
मदन बोलता है - मैं अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सका इसलिए मुझे भी जीने का कोई हक नहीं है।
चुड़ैल के आंसुओं में मां भाभी और मदन तीनों ढूंबने लगते है। तब मां बोलती हैं हमें अपनी गलती का एहसास हो गया है हमने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया हो सके तो हम दोनों को माफ कर देना।
चुड़ैल रोना बंद कर देती है और धीरे-धीरे घर में भरा सारा पानी सूख जाता है।
रेखा - तुम दोनों के चक्कर में मैं अपने पति को नहीं मार सकती। मुझे खुशी है कि तुम दोनों को सबक मिल गया है इतना क्या कर चुड़ैल गायब हो जाती है।
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