विक्रम बेताल की कहानी का अगला भाग सुनाने वाले है। पिछले भाग विक्रम बेताल की कहानी भाग 1 में आपने राजा भृतहरि और विक्रम की कहानी पढ़ी थी। अब आगे विक्रम बेताल की कहानी भाग 2 पढ़ने को मिलेगा।
बेताल के द्वारा विक्रमादित्य को सुनाई गई कहानियां बच्चे और बूढ़े बड़ी उत्सुकता के साथ सुनते है।
आइए विक्रम बेताल की कहानी, विक्रम बेताल की कहानी भाग 2
विक्रम बेताल की कहानी भाग 2 | विक्रम बेताल की कहानी
काशी नगरी में प्रतापमुकुट नाम का राजा राज करता था। जिसके वज्रमुकुट नामक एक पुत्र था। एक रोज वज्रमुकुट दीवान के बेटे के साथ जंगल में शिकार खेलने गया।
जंगल में घूमते घूमते उनको एक तालाब मिला जहां कमल के फूल खिल रहे थे, हंस हठी ठिठोली कर रहे थे। तालाब के किनारों पर घने पेड़ थे जिन पर पक्षी चहक रहे थे।
वज्रमुकुट और उसका मित्र (दीवान का लड़का) दोनों तालाब के नजदीक रुके और तालाब में हाथ मुंह धो कर निकल गए।
थोड़ी दूर जाने पर उनको एक भगवान शिव का मंदिर दिखाई दिया। दोनों ने घोड़े को मंदिर के बाहर बांधकर मंदिर में दर्शन के लिए चले गए।
जब वे दोनों मंदिर दर्शन करके बाहर आए तो उन्होंने देखा कि राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ तालाब में स्नान करने के लिए आई है। दीवान का लड़का वही पेड़ के नीचे बैठ गया, लेकिन राजकुमार उस राजकुमारी की तरफ आकर्षित हो गया और आगे बढ़ने लगा। राजकुमार पूरी तरह राजकुमारी पर मोहित हो गया था जब राजकुमारी कि नजरें राजकुमार से मिली तो राजकुमारी भी देखती ही रह गई।
तब राजकुमारी ने जुड़े में से कमल का फूल निकालकर, उसको कान में सजाया और फिर दांतों से कुतरकर पैरों के नीचे दबाया और फिर छाती से लगाकर, अपनी सहेलियों के साथ चली गई।
राजकुमारी के जाने के बाद राजकुमार निराश हो गए और दीवान के लड़के के पास आकर उसको सारी बात बताई कहा - मैं राजकुमारी के बिना एक पल भी नहीं रह सकता लेकिन मुझे ना तो उसका पता मालूम है ना ही यह पता कि मैं कैसे मेरी होंगी।
दीवान का लड़का बोला राजकुमार आप बिल्कुल भी चिंता मत कीजिए। राजकुमारी आपको सब कुछ बता कर गई है। राजकुमार ने पूछा कैसे? तब दीवान का लड़का बोला उसने राजकुमारी ने पहले कमल का फूल फिर से उतारकर कानों पर लगाया, तब बताया कि राजकुमारी कर्नाटक की रहने वाली है। उसके बाद दांतो से कुतरा मतलब की दंतावट राजा की बेटी है और फूल को पैर से दबाने का मतलब की राजकुमारी का नाम पद्मावती है और अंत में उन्होंने फूल को उठाकर सीने से लगाया जिसका मतलब है कि राजकुमार आप उनके दिल में बस गए हो।
विक्रम बेताल की कहानियां | विक्रम बेताल की कहानी भाग 2 | vikram betal ki kahani
इतना सब सुनने के बाद राजकुमार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राजकुमार उठ खड़े होकर बोले चलो अब मुझे कर्नाटक देश जाना है। दोनों मित्र वहां से कर्नाटक देश की तरफ चल निकले। सैर करते हुए कई दिनों के बाद दोनों कर्नाटक देश पहुंचे, राजा के महल के पास गए।
उनको महल के पास एक वृद्ध महिला चरखा काटती मिली। दोनों मित्र महिला के पास जाकर बोले माई हम सौदागर हैं और हमारा सामान पीछे आ रहा है हमें रहने के लिए थोड़ी सी जगह चाहिए।
वृद्ध महिला की राजकुमार और दोनों मित्रों की शक्ल सूरत देखकर ममता पिघल गई और बोली - बेटा तुम्हारा ही घर है जब तक मन करे रहो।
दोनों मित्र माई के घर में रहने लगे। दीवान का लड़का, माई से बोला - माई आप क्या करती हो? आपके घर में कौन-कौन है और आप कैसे गुजारा करते हो?
बूढ़ी माई ने बोला - मेरा एक बेटा है जो राजा की चाकरी में है और मैं राजा की बेटी पद्मावती की धाय मां हूं और अब बूढी हो जाने के कारण घर में रहती हूं, राजा मुझे खाने-पीने खो देता है। दिन में एक बार में राजकुमारी को देखने महल में जाती हूं।
राजकुमार माई को कुछ धन देता है और कहता है माई कल जब आप वहां जाओ तो राजकुमारी को कहना - जेठ सुदी पंचमी को तालाब पर मिला राजकुमार आ गया है।
माई राजमहल गई तो उन्होंने राजकुमार का संदेश राजकुमारी को सुना दिया। राजकुमारी ने संदेश सुनते ही गुस्सा होकर हाथों में चंदन लगा, उसके गाल पर तमाचा मारा और कहा मेरे घर से निकल जाओ।
विक्रम बेताल | विक्रम बेताल की कहानी
बुढ़िया माई ने घर आकर सारी बात राजकुमार को बताइए। बात सुनकर राजकुमार हक्के बक्के रह गए। तब राजकुमार का मित्र बोला - राजकुमार आप चिंता मत करिए मैं उनकी बातों को समझ गया।
उन्होंने दसों उंगलियों चंदन में डुबोकर मारी है इसका मतलब है कि अभी 10 रोज चांदनी के है जिनके बीतने पर मैं अंधेरी रात में मिलूंगी।
दस दिन बाद राजकुमारी को दोबारा राजकुमार का संदेश सुनाया जाता है तो इस बार राजकुमारी ने केसर के रंग में तीन उंगलियां को डुबोकर उसके मुंह पर मारी और कहां भाग जाओ यहां से।
बुढ़िया माई ने आकर राजकुमार को पूरी बात सुनाई और इस बार राजकुमार शोक से व्याकुल हो गया। दीवान के लड़के ने कहा - राजकुमार हैरान होने की कोई बात नहीं है राजकुमारी ने कहा है कि मुझे मासिक धर्म हो रहा है और 3 दिन और रुको।
3 दिन बीतने के बाद बुढ़िया माई राजकुमारी के पास जाती है और राजकुमार का संदेश सुनाती है तो राजकुमारी बुढ़िया माई को पश्चिम की खिड़की से बाहर निकाल देती है।
बुढ़िया माई राजकुमार को सारा हाल बताती है। जिसको सुनकर दीवान का मित्र बोला मित्र राजकुमारी ने आज रात को तुम्हें उस खिड़की से बुलाया है। राजकुमार की तो खुशी के मारे कोई ठिकाना ही नहीं रहा।
समय आने पर राजकुमार ने बुढ़िया माई की पोशाक पहनी और हथियार बाँध, रात के दो पहर बीत जाने के बाद महल पहुंचा और उसी खिड़की से होकर अंदर चला गया। राजकुमारी वहां पहले से ही तैयार खड़ी थी, राजकुमार को लेकर अंदर गई।
अंदर का हाल देखकर राजकुमार की आंखें खुल गई एक से बढ़कर एक चीजें थी। रात भर राजकुमार राजकुमारी साथ रहे। जैसे यह दिन निकला तो राजकुमारी ने राजकुमार को छुपा दिया और रात होने पर निकाल लिया। कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
अचानक एक दिन राजकुमार को अपने मित्र की याद आई और उसे चिंता सताने लगी कि उसका क्या हुआ। राजकुमार को उदास देख राजकुमारी ने उदासी का कारण पूछा तो राजकुमार ने सब बताया और बोलो - मेरा मित्र बहुत होशियार और चतुर है। उसी की चतुराई से तुम मुझको मिल पाई हो।
राजकुमारी बोली - मैं उसके लिए बहुत स्वादिष्ट-स्वादिष्ट भोजन बनाती हूं। तुम उसको भोजन खिलाकर तसल्ली देकर वापस लौट आना।
राजकुमार खाना लेकर अपने मित्र के पास पहुंचा और राजकुमार महीने भर से नहीं मिले थे राजकुमार ने मिलने का सारा वृतांत मित्रों को सुनाया और कहा - राजकुमारी को मैंने तुम्हारी चतुराई की सभी बातें बता दी है। तब राजकुमारी ने भोजन बनाकर भेजा है।
विक्रम बेताल की कहानियाँ | विक्रम बेताल हिंदी कहानी | vikram betal story
तब दीवान का लड़का सोचने लग गया और बोला - मित्र तुमने यह अच्छा नहीं किया। राजकुमारी समझ गई है कि जब तक मैं हूं वह तुम्हें अपने बस में नहीं रख सकती, इसलिए राजकुमारी ने इस खाने में जहर मिला कर भेजा है।
इतना कहकर दीवान का लड़के ने भोजन की थाली एक लड्डू उठाया और एक कुत्ते उनको खाने को दे दिया। जैसे ही कुत्ते ने लड्डू खाया, कुत्ते की मौत हो गई।
राजकुमार को बहुत बुरा लगा और राजकुमार ने कहा - ऐसी स्त्री से भगवान ही बचाए। अब मैं दोबारा उस राजकुमारी के पास नहीं जाऊंगा। तब दीवान का बेटा बोला - नहीं, अब ऐसा उपाय करना है कि जिससे हम उसे घर लेकर चले।
आज रात को मित्र आज आपको तुम वहां आ जाओ और जब राजकुमारी सो जाए तो उसकी बाई जांघ पर त्रिशूल का निशान बनाकर उसकी गहने लेकर आ जाना।
राजकुमार ने ठीक वैसा ही किया। उसके आने पर दीवान का बेटा राजकुमार को साथ ले और खुद योगी का भेष बना मरघट में जा बैठा और राजकुमार से कहा - यह गहने लेकर तुम बाजार में बेच आओ और यदि कोई पकड़े तो कह देना कि मेरे गुरु के पास चलो और उनको यहां ले आना।
राजकुमार नहीं ठीक वैसा ही किया। राजकुमार गहने लेकर शहर में गया और जाकर एक सुनार को दिखाया।
गहने देखते ही सुनार ने उसको पहचान लिया और कोतवाल के पास ले गया। कोतवाल ने पूछा तो राजकुमार ने कहा कि यह मेरे गुरु ने मुझे दिया है। तब कोतवाल गुरु को पकड़ लिया और सब राजा के समक्ष पहुंचे।
राजा ने पूछा - योगी महाराज जी यह गहने आपको कहां से मिले।
तब योगी बने दीवान के बेटे ने कहा - महाराज मैं मसान में काली चौदस को डाकिनी मंत्र सिद्ध कर रहा था, तब डाकिनी आई थी और मैंने उसके गहने उतार लिए और बाई जांघ पर त्रिशूल का निशान बना दिया ।
इतना सुनकर राजा महल में जाता है और रानी से कहता है की पद्मिनी की बायीं जांघ पर देखो, कोई त्रिशूल का निशान तो नहीं है ना।
जब रानी ने देखा तो सच में त्रिशूल का निशान था। यह जानकार राजा को बहुत दुःख होता है। राजा बाहर आकर योगी से पूछता है - योगी महाराज शास्त्रों में खोटी स्त्रियों के लिए क्या दंड है ?
योगी बोला - राजन, ब्राहमण, गौ, स्त्री, लड़का और सानिध्य में रहने वाले शान से कोई खोट हो जाए तो उसको देश निकालें निकाला देना चाहिए।
यह सुनकर राजा राजकुमारी पद्मिनी को डोली में बिठाकर जंगल में छुड़वा देता है। राजकुमार और दीवान का बेटा तो पहले से ही राजकुमारी की ताक में बैठे थे। राजकुमारी को अकेला पाकर अकेली पाकर राजकुमार अपने साथ नगर में ले आता है और दोनों आनंद से रहने लगते है।
इतनी बात सुनाकर बेताल बोला - राजन अब बताओ आप किसको लगा?
राजा विक्रम बोले - पाप तो राजा को लगा क्योंकि दीवान की बेटे ने अपने स्वामी का काम किया, कोतवाल ने राजा का कहना माना और राजकुमार ने अपना मनोरथ सिद्ध किया। राजा ने पाप किया जो बिना सोच-विचार किए राजकुमारी को देश निकाला दे दिया।
विक्रम का इतना कहना था कि बेताल फिर से उसी पीपल के पेड़ पर जाकर लटक गया। राजा वापस गए और बेताल को वापस पेड़ से नीचे उतार लेकर चल दिए।
बेताल बोला - राजन तुम बहुत बड़े हटी मालूम होते हो, लेकिन कोई बात नहीं। देखता हूं तुम कितने हटी और कितने धैर्यवान हो।
बेताल पच्चीसी की सभी कहानियां आपको यहां पढ़ने को मिलेगी। हम विक्रम बेताल की कहानियां का पूरा संग्रह लेकर आ रहे है।
बने रहे हमारे साथ और पढ़ते रहे बेताल पच्चीसी
विक्रम बेताल की कहानियां :-
- विक्रम बेताल की कहानियां
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 1
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 3
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 4
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 4
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 5
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 6
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 7
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 8
- विक्रम बेताल की कहानी भाग 9
बेताल ने राजा विक्रम को उस एक रात में 24 कहानियां सुनाई थी और अंतिम कहानी उस योगी की थी जिसके कारण बेताल विक्रम बेताल की कहानियों को एक जगह संग्रहित कर के उसको बेताल पच्चीसी नाम दिया गया।
आगे आने वाले भाग में हम आपको विक्रम बेताल की कहानियां , विक्रम बेताल की कहानी के सभी भाग सुनाएंगे।जिसमे आपको पता चलेगा की बेताल ने कौन कौनसी ज्ञानवर्धक कहानियां राजा विक्रम को सुनाई थी।
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