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तो चलिए शुरू करते है चुड़ैल की कहानी सच्ची घटना से जुडी चुड़ैल की कहानी
भूत की कहानी : भूतिया पेड़ | Real Horror Story In Hindi
रोनकपुर नाम का एक शहर था। जहां रोनकसिंह राजा का शासन था। रोनकसिंह हमेशा प्रजा के हित में ही कार्य किया करता था। वहां की प्रजा भी राजा से बहुत खुश थी। एक दिन एक गिद्ध आकाश में भूतिया पेड़ के बीज को लेकर उड़ रहा था। गिद्ध जैसे ही उसे भूतिया पेड़ के बीज को लेकर रोनकपुर पहुंचता है तो अचानक वह बीज उसके मुंह में से गिरकर रोनकपुर नगर के बीचो-बीच में गिर जाता है।
वह बीज भूतिया था इसलिए उस बीज का अगले ही दिन एक पौधा बन जाता है। जब नगरवासियों ने उस पौधे को देखा तो हैरान रह गए, क्योंकि वह पौधा काले रंग का था। बाद में लोगों ने आपस में चर्चा करके यह समझा की वह पौधा कोई खास तरह की वनस्पति होगी पर वह पौधा अगले दिन काफी बड़ा हो चुका था। अब तो वहां के निवासी और भी दुविधा में पड़ गए थे क्योंकि एक ही दिन में कोई पौधा इतना बड़ा हो जाए यह असंभव है।
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तीसरे दिन तो वह पौधा एक पेड़ का रूप ले चुका था। वहां के लोग इस बारे में सोच कर बहुत परेशान थे। अंत में वे राजा के पास जाते हैं जब राजा को पता चला की एक काले रंग का पौधा 3 दिन में ही बड़ा पेड़ बन चुका है तो उन्हें भी उस पेड़ को देखकर बहुत आश्चर्य हुआ।
जब उस पेड़ के पास चौथे दिन पहुंचे तो वह और भी बड़ा पेड़ बन चुका था वह पेड़ इतनी तेजी से बड़ा हो रहा था कि किसी को यकीन ना हो रोनकसिंह समझ चुका था की रंग काला है तो इस पर जरूर कोई जादू टोना होगा। इस सोच के साथ राजा ने घोषणा करवा दी की इस पेड़ को जो भी खत्म करेगा उसे इनाम के तौर पर एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दी जाएंगी इतना ही नहीं राजा ने यह भी घोषणा करवाई की इस पेड़ को खत्म करने वाले व्यक्ति को मेरी मृत्यु के बाद राजगद्दी सौंपी जाएगी।
Real Horror Story In Hindi | Horror Stories in Hindi
ऐसी घोषणा सुनकर कई लोग इस पेड़ को खत्म करने की योजना बनाने लगे। राजा के सभी मंत्रियों ने तरकीब लगाना शुरू कर दी पर कोई भी उस पेड़ को नष्ट नहीं कर पाया। किसी ने पेड़ के आसपास आग लगाई तो किसी ने उस पेड़ को हाथियों से खींच वाया लेकिन पेड़ वहां से हिला तक नहीं।
रोनकपुर के निवासियों के मन में डर बैठ गया,उन्हें पता चल गया था कि यह पेड़ ऐसा-वैसा नहीं बल्कि एक भूतिया पेड़ है। तभी उस नगर के किसी समझदार व्यक्ति को इस घोषणा के बारे में पता चला। जानकारी प्राप्त करने के बाद वह व्यक्ति अपने गुरु के पास जाकर उस पेड़ के रहस्य को जानने के लिए गया।
गुरु ने अपनी ध्यान की शक्ति एकत्र किया और देखकर उस व्यक्ति से पूछा क्या - तुम इस पेड़ को खत्म करना चाहते?
उस चतुर व्यक्ति ने जवाब दिया - हां गुरुजी! सभी रोनकपुर के निवासी इस पेड़ से बहुत परेशान है।
गुरुजी ने उसे बताया कि इस पेड़ को खत्म करने के लिए एक ही तरीका है तुम्हें इस पेड़ के पास जाकर इसके आसपास नमक डालना है।
इस तरकिब के बारे में जान कर वह व्यक्ति दौड़ा-दौड़ा राजा के पास गया और बोला इस पेड़ के पास वास नमक डलवाने पर यह पेड़ खत्म हो जाएगा।राजा ने अपने सैनिकों के द्वारा ऐसा ही करवाया सैनिकों ने उस फेड के चारों ओर बहुत-सा नमक डाल दिया।
नमक डालने पर वह पेड आकार में कुछ छोटा हो गया। धीरे-धीरे पांचवे दिन तक वह भूतिया पेड़ बिल्कुल छोटा हो गया था। उसके बाद वह पेड़ गलकर उस जगह से गायब हो गया उस व्यक्ति की तरकिब काम कर गई। राजा ने उसे खुश होकर हजार स्वर्ण मुद्राएं और उसके बाद एक पत्र दिया जिसमें लिखा था की राजा की मृत्यु के बाद वह व्यक्ति रोनक पुर नगर की राजगद्दी संभालेगा। वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और अपने घर की ओर चल दिया।
कहानी से सीख :
इस दुनिया में ऐसी कोई भी मुसीबत नहीं है,जिसका समाधान न हो,बस जरूरत है तो व्यक्ति के धैर्य और समझदारी की।
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