आपने खुनी दरवाजा, खुनी नदी, भूतिया कहानियां को तूल देने वाली कई किस्से कहानियां सुनी होंगी। आज हम आपको ऐसे ही भूतिया डरावने स्थानों के बारें में बताने वाले है। जिनको दखने देश विदेश से लोग आते है। पेरानॉर्मल एक्सपर्ट ने इन भूतिया जगहों पर अध्ययन किया है और जन सामान्य के लिए पाबंध कर दिया।
दिल्ली की खुनी नदी और खुनी दरवाजा के रहस्य क्या है। चलिए जानते है खुनी नदी और खुनी दरवाजा के रहस्य
दिल्ली की खूनी नदी | Khooni Nadi Story In Hindi
हमारे देश भारत की राजधानी दिल्ली में कई ऐतिहासिक धरोहर है। जिन्हे देखने के लिए विदेशों से लोग घुमने के लिए आते है, लेकिन यहाँ एक ऐसी नदी है जिसे खूनी नदी (Khooni Nadi) नाम से जानते है। पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी इलाके में बहने वाली Khooni Nadi के पास खूब हरियाली है। खुनी नदी के आस-पास देखने के लिए शानदार जगह है। लेकिन यह इलाका जितना खूबसूरत है उतना ही खतरनाक भी है। इसको Khooni Nadi के नाम से भी जानी जाती है। यहा के लोग कहते है की इस इलाके में रात को रोने और चीखने चिल्लाने की आवाजे भी आती है।
खूनी दरवाजा | Khooni Darwaza Haunted Story In Hindi
Khooni Nadi के आस-पास के इलाकों में कोई भी आत्मा का साया है या नहीं इसका पुख्ता तौर पर कोई प्रमाण नहीं है। लोगो की माने यहाँ चीखने चिल्लाने की आवाजें आती रहती है। जिस कारण यहां रहने वाले लोगों के दिलों में डर सा बैठ गया है। डर के कारण यहां कोई व्यक्ति नजर नहीं आता है।भूतिया गतिविधियों के कारण Khooni Nadi कहते है। 1857 की लड़ाई में जो अंग्रेज वाली जाते थे उनकी राशि इसी Khooni Nadi में फेंक दी जाती थी। इसीलिए इस नदी का नाम खूनी नदी रखा गया है।
खूनी दरवाजा की कहानी | Khooni Darwaza Haunted Story
एक अजीब सी मान्यता भी है कि दिल्ली में "खूनी दरवाजा" के नाम से प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर केवल विदेशियों को ही खतरा है। यह खूनी दरवाजा दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित है। दरवाजे दिल्ली के 13 ऐतिहासिक दरवाजों में से एक हैं। लोगों का मानना है कि एकांत में होने के कारण यहां जुर्म ज्यादा होते रहते है। खूनी दरवाजा के सामने कुछ छोटी दुकानें भी है उन लोगों का मानना है कि "यहां भूत तो है लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ विदेशियों को ही निशाना बनाते हैं।"
क्यों रखा खूनी दरवाजा नाम | Khooni Darwaza Haunted Story
इस दरवाजे का नाम कब पड़ा था जब मुग़ल सल्तनत के शहजादे बहादुर शाह के बेटे मिर्जा मुगल और कृष सुल्तान और पोते अबू बकर की ब्रिटिश जनरल मीडियम ने स्वतंत्र संग्राम के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी थी।बहादुर शाह जफर के आत्म समर्पण के बाद से अगले ही दिन विलियम हॉडसन ने तीनों शहजादो को आत्म समर्पण करने के लिए मजबूर किया था। 22 दिसंबर को जब इन तीनों शहजादो को हुमायु के मकबरे से लाल किले में ले जाया जा रहा था। उसने उन्हें इस जगह पर रोका तथा नग्न किया और गोलियां निकल कर मार दिया।
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