आप सभी ने भूतों की कहानियां, भूतिया कहानियां तो बहुत सुनी होगी। भूतिया कहानी की कड़ी में आज हम आपको भूतिया मिठाई की दुकान की भूतिया कहानी सुनाने वाले है।
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क्या है भूतिया मिठाई की दुकान, भूत की कहानियां, भूत वाली कहानी, भूतों की कहानी
भूत की कहानी | Bhoot Ki Kahani Bhoot Ki Kahani
सागरपुर नाम का एक बहुत ही सुंदर गांव था। उसी गांव में सौरभ नाम का एक मिठाई वाला रहता था।
ग्राहक – अरे भैया सौरभ जरा 1 किलो इमरती तो पैक कर देना।
सौरभ – यह लो काका आपकी 1 किलो इमरती।
सौरव की दुकान के सामने ही की तोताराम की भी मिठाई की दुकान होती है। सभी लोग सौरभ की दुकान से ही मिठाई लेते और उसकी दुकान की तारीफ कर रहे होते है। जिसे सुनकर तोताराम को बहुत गुस्सा आता है।
तोताराम – ना जाने क्या हो गया है इन गांव के लोगों को। जब देखो सौरभ की मिठाई की तारीफ करते रहते है और यह मेरी दुकान पर देखो एक मक्खी तक नहीं भटक रही है फिर भी कोई ग्राहक नही आता। मन तो करता है कि उसकी मिठाई में जहर मिला दूं... जहर।
तभी तोताराम की दुकान पर उसका दोस्त महेश आता है। और तोताराम से बोलता है
महेश – अरे तोताराम क्या हुआ। यहां अकेले अकेले क्या बड़बड़ा रहे हो।
तोताराम – कुछ नहीं भैया। मैं तो बस अपनी किस्मत को कोस रहा था। देखो ना महेश भाई मैंने इतनी अच्छी और शानदार दुकान खोली है लेकिन सुबह से बस दो-चार ही ग्राहक दुकान पर आए है।
फिर शाम को तोताराम अपनी दुकान बंद करके घर जाता है और घर जाकर फिर से बड़बड़ आने लगता है... ना जाने क्या मिलाता है अपनी मिठाई में जो सभी उसकी मिठाई की तारीफ करते थकते नहीं। मेरा तो मन करता है कि अभी जाकर उसकी दुकान में जाकर आग लगा दूं।
तोताराम को पत्नी – अजी क्या हो गया। क्यों इतने तमतमाए हुए हो और किस की दुकान में आग लगाने जा रहे हो।
तोताराम – अरे भाग्यवान एक ही तो है, जिसने मेरा सारा धंधा चौपट कर के रखा है। बस उसी की दुकान में आग लगाने की सोच रहा हूं। पर मेरा तो मन करता है सौरव की सारी मिठाइयों में जहर मिला दूं... जहर।
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तोताराम को पत्नी – अजी तो देर किस बात की यह लो शीशी।
तोताराम – अरे भाग्यवान यह जहर कहां से कहां से ले आई। अरे पगली मुझे जेल भिजवाना है क्याया या?
तोताराम की पत्नी – अजी आप भी ना यह कोई जहर नहीं है। इस शीशी में वह पानी है जो सौरभ की मिठाई को बेस्वाद और बांसी बना देगी। बस आपको यह पानी उसकी मिठाई के ऊपर छिड़कना है और फिर देखना इसका कमाल।
तोताराम – अरे मेरी चमेली क्या दिमाग पाया है तुमने। पर मैं यह करूंगा कैसे है?
तोताराम की पत्नी – हम्म्म सब मैं ही बता दूंगी तो तुम क्या करोगे। यह लो सीसी और खुद सोचो कैसे और क्या करना है। मैं तो चली खाना बनाना।
फिर अगले दिन तोताराम और सौरभ अपनी अपनी दुकान खोलते है। तोताराम मौका देखकर सौरव की दुकान पर जाता है और सौरभ से बोलता है
तोताराम – अरे सौरभ भाई एक बात तो है तुम्हारी मिठाई बहुत ही स्वादिष्ट है। इसलिए हमारे गांव वाले ही नहीं बल्कि आसपास के गांव वाले तुम्हारी मिठाई खाना पसंद करते है।
सौरभ – तोताराम जी यह सब तो ऊपर वाले की मेहर है।
तोताराम – अरे भाई यह दुकान के अंदर से आवाज की कैसी है।
सौरभ – आवाज.... पर मुझे तो कोई आवाज नहीं आई?
तोताराम – अरे भाई सौरभ एक बार अंदर जाकर तो देखो। क्या पता कोई चूहा दुकान में घुस आया हो।
सौरभ दुकान में जाकर देखता है लेकिन उसे कोई आवाज नहीं आ रही होती। जैसे ही सौरभ दुकान से बाहर निकलता है तो वह तोताराम को उसके मिठाई पर सीसी से पानी डालते हुए पकड़ लेता है और तोताराम को बोलता है।
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सौरभ – अब समझ आया कि तोताराम आज इतनी अच्छी बातें कैसे कर रहा है। जरा बताओ कि चुपके-चुपके क्या डाला रहा था मेरी मिठाई पर। तोताराम क्या हुआ। कुछ बोलते क्यों नहीं लगता है। तुम्हें सरपंच जी के पास लेकर ही जाना पड़ेगा।
तोताराम – अरे सौरभ भाई मुझे माफ कर दो। मुझसे गलती हो गई। आगे से फिर कभी ऐसा नहीं होगा। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं मैं तुम्हारा भाई हूं तुम मुझे माफ कर दो भाई।
सौरभ – ठीक है भाई इस बार छोड़ता हूं मगर फिर कभी ऐसा किया तो सीधा जेल भेज दूंगा।
तोताराम – वहां से चला जाता है और घर जाकर सारी बात अपनी पत्नी को बताता है। अरे देवी जी तेरे चक्कर में तो आज मैं जेल पहुंच जाता जेल....।
तोताराम की पत्नी – अजी आप से तो एक भी काम ठीक से नहीं होता।
तोताराम – मेरा तो मन करता है उस सौरव के बच्चे को जान से मार दूं।
तोताराम की पत्नी – हां तो उसमें क्या है? मार दो जान से।
तोताराम– हे भगवान कैसी पत्नी दी है जो अपने पति को जेल भिजवाना चाहती है।
तोताराम की पत्नी – आप भी ना पहले मेरी बात सुनो। ऐसा काम करो कि सांप भी टूट जाए और लाठी भी ना टूटे।
तोताराम – अरे भाग्यवान साफ-साफ बोलो, क्या बोलना चाहती हो।
तोताराम की पत्नी – अरे सौरभ भाई को ऐसे मार दो कि किसी को पता नहीं चले कि आप ने मारा है। मेरी बात ध्यान से सुनो, सौरभ भाई सुबह सुबह दुकान खोलने के लिए नदी के किनारे किनारे जाता है। आपको बस उन्हें नदी में धक्का देना है, यहां सौरभ भाई मरे वहां आपकी दुकान पर मिठाई लेने वालों की भीड़ लगना शुरू।
उसी दिन सौरव अपनी पत्नी मीना को तोताराम की इस हरकत के बारे में बताता है।
मीना – कमबख्त तोताराम से जरा होशियार रहना। जरा फिर से कोई गड़बड़ ना करने लग जाए।
अगले दिन सौरभ अपने घर से खुशी-खुशी दुकान जाने के लिए निकल जाता है और जैसे ही नदी के किनारे पहुंचता है तभी तोताराम पीछे से सौरव को धक्का मार कर नदी में गिरा देता है और वहां से भाग जाता है। नदी में गिरने से सौरभ की मौत हो जाती है। और वह एक डरावना भूत बन जाता है।
सौरभ का भूत – यह मुझे क्या हो गया। अरे इस तोताराम ने आखिर मेरी जान ले ली। अब मैं इसको नहीं छोडूंगा। पर पहले मुझे अपनी बात अपनी पत्नी मीना को यह बात बतानी होगी।
फिर भूत मीना के पास जाता है।
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मीना – अरे दईया... यह सुबह-सुबह भूत कहां से आ गया। भूत तो रात के अंधेरे में घूमते है लेकिन यह भूत है जो सुबह सुबह मेरे घर आ गया है। अरे कोई तो बचाओ मुझे इस भयानक भूत से।
अरे अरे मैं हूं तुम्हारा सौरभ... अरे जाओ यहां से और यह क्या बकवास कर रहे हो तुम और सौरभ।
सौरभ का भूत – तुम्हें ऐसे यकीन नहीं होगा। फिर भूत अपनी भूतिया शक्ति से सौरव के रूप में आ जाता है। अब तो तुम्हें यकीन आया कि मैं ही हूं, तुम्हारा सौरभ। फिर सौरव मीना को सारी बात बताता है।
मीना – हे भगवान यह क्या हो गया। मैं छोडूंगी नहीं तोताराम को।
सौरभ – मैं अभी जाता हूं और उस तोताराम को तो मैं कच्चा चबा जाऊंगा।
मीना – नहीं...नहीं यदि आपने उसे मार डाला तो तोताराम की हकीकत का कभी पता नहीं चल पाएगा। हमें ऐसा कर कुछ करना होगा जिससे तोताराम अपने आप अपना गुनाह कबूल कर ले।
सौरभ – मैं सब समझ गया कि मुझे अब क्या करना है। मैं अपनी भूतिया शक्ति से सौरभ के रूप में रह सकता हूं। और दिन ढलते ही मैं भूत जाऊंगा
ऐसा बोलकर सौरभ दुकान पर जाता है। सही सलामत सौरभ को देखकर। तोताराम की सिटी पिटी गुम हो जाती है।
तोताराम – अरे यह कैसे हो सकता है। इसे तो मैंने अपने हाथों से मारा था फिर यह अपनी दुकान पर कैसे। हे भगवान यह क्या हो गया है और अब क्या होगा।
फिर कुछ ही देर में सौरभ की दुकान पर मिठाई लेने वालों की भीड़ लग जाती है।
सौरभ – क्या हुआ तोताराम? मेरी दुकान पर मिठाई वालों की भीड़ देखकर जलन हो रही है। ऐसा हो रहा है तो एक काम करो... तोताराम तुम अपनी बड़ी सी शानदार दुकान पर ताला लगा लो। वैसे भी तुम्हारी दुकान पर कोई जाता तो है नहीं इसलिए अच्छा यही होगा कि तुम अपनी दुकान पर बंद करके कुछ और काम करो।
तोताराम – अरे भाइयों... जिसे तुम मिठाई ले रहे हो। यह सौरभ नहीं, बल्कि उसका कोई बहरुपिया है। यह तुम सब को पागल बना रहा है। तुम सब मेरी दुकान पर आओ, मेरी मिठाई खरीदो...आओ आओ आओ
ग्राहक – अरे तोताराम, यह तुम क्या बकवास कर रहे हो। लगता है तुम्हारी एक भी मिठाई नहीं बिकती इसीलिए तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। इसीलिए सुबह सुबह तुम ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहे हो। हा हा हा हा
फिर सभी लोग जोर-जोर से तोताराम पर हंसने लगते है। सभी लोगों की ऐसी बातें सुनकर और सभी लोगों को अपने पर हंसता देखकर तोताराम को बहुत गुस्सा आता है।
वह गुस्से में बोलता है अरे तुम लोग मेरी बात क्यों नहीं सुनते।
ग्राहक – तोताराम तुम कैसे कह सकते हो कि यह सौरभ का बहरूपिया है।
गुस्साया तोताराम – क्योंकि सौरव को तो मैंने अपने हाथों से नदी में धक्का देकर मार डाला है अब वह मर गया। अरे यह मैंने क्या बोल दिया।
सौरभ अब अपने भूत रूप में वापस आ जाता है और सभी गांव वालों को सारी बात बताता है। और बोलता है मैं चाहता तो तुझे कबका कच्चा चबा जाता लेकिन मैं और मेरी पत्नी चाहते थी कि सच सब गांव वालों के सामने आए और तू अपने मुंह से खुद सच कबूल ले।
फिर सब गांव वाले तोताराम की दुकान को हमेशा के लिए बंद कर देते है और तोता राम को पुलिस के हवाले कर देते है।
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