भूतिया कहानियां की में हम आपको हाईवे वाला भूतिया ढाबा की कहानी सुनाने वाले है। कैसे भूतिया ढाबा बना लोगो की मौत का घर। रात में जाने वाला हर इंसान बनता था भूतों का शिकार।
हाईवे वाला भूतिया ढाबा
एक दिन सुरेश देर रात वीरान सड़क से गुजर रहा था। आज उसने ऑफिस में कुछ नहीं खाया था। और भूखे पेट ही घर की ओर निकल पड़ा। कुछ घंटे गाड़ी चलाने के बाद उसे जोर की भूख लगने लगी। कुछ और दूर चलने के बाद अब सुरेश की हालत और ज्यादा ख़राब होने लगी बहुत तेज भूख के कारण। अब तो उसकी आँखे सिर्फ खाना ही तलाश रही थी। अब तो उसे गाड़ी चलाने के लिए ध्यान लगाने में भी मुश्किल होने लगी। फिर उसने गूलल मैप खोला और होटल ढाबा सब खोज लिया। मगर फन्द्रह किलोमीटर से पहले कुछ भी नहीं था। तब उसने फिर से हिम्मत बांधी और गाड़ी को फुल स्पीड में चलने लगा। कुछ देर बाद कहीं जाकर एक ढाबा दिखाई दिया। ढाबा देखते ही उसकी जान में जान आयी।
ढाबे पर पहुँचते ही ढाबे का मालिक बोला आइये आइये साहब.... बताइये क्या खाएंगे। मटर पनीर, छोले भठूरे, दाल चावल, पूड़ी कचोरी या मस्त लस्सी लेकर आऊं।
सुरेश - भाई साहब जो भी अच्छा खाना बना हो दे दो।
ढाबा मालिक नौकर को खाना परोसने को कहता है।
नौकर खाना लेकर सुरेश के सामने खाना रखकर जाने लगा। तभी सुरेश ने उसे आवाज दी भाई पानी भी रख जाना यार , तभी वेटर पीछे मुड़कर गर्दन पूरी उल्टी घुमाकर कहता है - ठीक है साहब!
तभी सुरेश ने चारोँ तरफ नजर घुमाई ढाबा पूरा खाली, सिर्फ मालिक और नौकर है। वहां टेबल एकदम गंदी कमरे में भी मकड़ियों के जालों ने कब्जा कर रखा था। सुरेश बहुत डर गया। यह सब ढाबा मालिक देख रहा था। उसने तुरंत सुरेश को समझाया।
मालिक ने कहा यह भूतिया ढाबा नहीं है। यह तो बस रामु है ना हर बार का यही नाटक होता है इसका। असल में यह होगा बहुत ज्यादा योगा करता है तो इसकी गर्दन लचीली है। और देखो आज फिर तो से डरा दिया। इसको निकाल भी नहीं सकते ना। यहां वीरान जंगल में कोई आता भी नहीं काम करने।
बाकी टेबल गंदा है क्योंकि ज्यादा लोग आते नही यहां। हालांकि लोग कहते जरूर है। इस रास्ते पर होटल, ढाबा बहुत चलता है मगर असल में लोग यहां आते ही नहीं गाड़ियां धूल उड़ाते हुए निकल जाती है।
सुरेश सब समझ जाता है। और वह बिना कुछ बोले रोटी दाल चावल, छोले पनीर और फिर लस्सी सब चट कर दिया। खाना खाते ही सुरेश को नींद आने लगी। इतने में ढाबा मालिक खुद ही बोला
ढाबा मालिक – अब रुक जाओ सुबह जाना। रात में इस रास्ते से जाना ठीक नहीं है।
सुरेश – ऐसा क्यों आगे क्या लुटेरे हैं? क्या यह रास्ता सुरक्षित नहीं है?
ढाबा मालिक – ना! अब आगे उससे भी ज्यादा खतरा है। मैंने कहा था ना कि इस रास्ते पर लोग कम आते है। इसलिए कम आते हैं क्योंकि रास्ता भूतिया है। 10% लोग ही यहां से बाहर निकल पाते है। बाकी बेमौत मारे जाते है।
सुरेश – आखिर ऐसा भी क्या इस रास्ते पर ?
सुरेश – इस रास्ते पर आगे 50 किलोमीटर बाद एक बड़ा ढाबा पड़ेगा। वहां असल में कोई ढाबा नहीं है कुछ भूतों का बनाया हुआ भ्रम जाल है।
बहुत पहले वहां एक ढाबा हुआ करता था। ढाबा मालिक और उसकी पत्नी और उसकी एक जवान बेटी ढाबा चलाते थे। तभी एक दिन रात में करीब 2:00 बजे वहां कुछ लड़के आए। उन्होंने खाना मंगाया तो ढाबे मालिक की जवान लड़की खाना देने आई जिसको देखकर सारे लड़कों की नियत बिगड़ गई। उन्होंने लड़की के माता-पिता को बंधक बना लिया। उस लड़की से बदतमीजी की कोशिश की। लड़की के पास टेबल पर चाकू था जिससे उस लड़की ने आत्महत्या कर ली। अपनी बेटी की मौत उसके माता-पिता नहीं देख सके। उन्होंने भी ढाबे पर ही खुदकुशी कर ले।
लड़के तुरंत फरार हो गए। पुलिस को भी कोई सुराग नहीं मिला तो आत्महत्या कर केस बंद कर दिया गया। तब से आज तक उस रोज लड़की और उसके माता-पिता उन लड़कों का इंतजार कर रहे है। और हर लड़के को रोककर ढाबे में ले जाते है।और उन्हें वही उसी चाकू से मार देते है। ढाबे के पीछे वाले कुएं में डाल देते है।
कहानी सुनते सुनते सुरेश को नींद आ गई। और वही टेबल पर ही सो गया था। मालिक भी रजाई लेकर वही उसके बगल में आकर सो गया था।
सुबह सुरेश ने नाश्ता किया। और निकल गया। वह जाते-जाते सोच रहा था। मुझे अचानक नींद कैसे आ गई। मैं तो सिर्फ ढाबे के मालिक की बात सुन रहा था। इतनी बोरिंग कहानी तो नही थी। कहीं कुछ गड़बड़ है। क्या पता खाने में कुछ मिलाया गया हो। फिर आगे जाकर देखा तो सच में ढाबे वीरान पड़े है। फिर एक रेलवे क्रॉसिंग आई। एक मालगाड़ी कोयला लेकर जा रही थी। तो क्रॉसिंग बंद थी।
सुरेश ने देखा कि वहा ट्रैक्टर और ट्रक के टायरों के निशान सड़क के बाहर क्रॉसिंग के अगल-बगल थे। ऐसा लग रहा था कि यहां रोज ट्रैक्टर और ट्रक बाहर आकर खड़े रहते हो। और वहां की जमीन एकदम काली थी। उसे लगा जैसे कोयला यही लादा और उतारा जाता है। उसके दिमाग में सवालों का तूफान आ रहा था। आखिरकार उसका दिमाग भी पत्रकार वाला था। उसने सब कुछ जानने की ठान ली।
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अगली रात उसी रास्ते से वापस आने लगा। वापसी में जब उसी तरह का एक ढाबा उस तरफ था जो क्रॉसिंग के लगभग 40 45 किलोमीटर दूर था। सुरेश वहा गया और बिना कुछ खाए पीए महज रास्ता पूछकर निकलने लगा। तो ढाबे के मालिक ने भी वही कहानी सुनाई और सुरेश को रोकने की कोशिश की। बेटा बड़ों की बात मानो यह रास्ता रात में जाने लायक नहीं है। रास्ते में भूतिया ढाबा है जो जबरदस्ती तुम्हें खींच ले जाएंगे। और फिर तुम कभी वापस नहीं आओगे।
सुरेश – चाचा जी मैं नहीं रुक सकता। मेरी माँ की तबीयत ठीक नहीं है। और मां के लिए तो मैं सब को भूत बना सकता हूं। और जरूरत पड़ने पर भूत से भी लड़ सकता हूं।
इतना कहकर सुरेश अपनी कार से आगे निकल गया। 10 किलोमीटर ही चला होगा कि रास्ते में खून के निशान मिलने लगे। जिसमें एक पैर आगे की तरफ जा रहा था तो एक उल्टा था। यह देखकर सुरेश डर गया और फिर गाड़ी को स्पीड बढ़ा दी। कुछ दूर जाने पर खून के निशान बंद हो गए। लेकिन खंभे पर लगी लाइट चालु बंद होने लगी और बंद ही हो गई। अब गाड़ी की स्पीड और धीमी करनी पड़ी।
अचानक रास्ते में बैरिकेट आ गए। जिस पर लिखा था – आगे सड़क पर काम चल रहा है कृपया यहां से मार्ग बदले। और कुछ दूर आगे चलने पर अजीबों गरीब लोग हवा में उड़ रहे थे। उनके हाथों में हल और सड़क में काम आने वाले औजार थे। जिसके बाद सुरेश को लगा की शायद उसे ढाबे मालिक की बाद मान लेनी चाहिए थी।
सुरेश ने गाड़ी पीछे की लेकिन सुरेश को लगा जैसे किसी ने उसको गाड़ी पकड़ ली हो। उसने गाड़ी और स्पीड से चलानी शुरू कर दी। bhooton ki kahani hindi mein
10–12 किलोमीटर बाद उसने बगल में ढाबा देखा। काफी चहल-पहल थी वहां बहुत सारे लोग थे। ऐसा लग नहीं रहा था कि यह भूतिया ढाबा होगा। सुरेश ने गाड़ी रोकी और वहां ढाबे में गया। उसके अंदर जाते ही तुरंत ही दरवाजा अपने आप बंद हो गया। बत्ती बंद हो गई। किसी ने फोन टॉर्च ऑन किया और फिर सुरेश ने जो देखा वह हैरान करने वाला था सुरेश ने देखा कि कमरे में बहुत सारे लोग उड़ रहे है।
सुरेश ने देखा कि कमरे में बहुत सारे लोग उड़ रहे है उसके केंद्र में एक लड़की और उसके माता-पिता है और आसपास कुछ लड़के है जिनको लड़की चाकू मार रही है मगर यह देखकर ना जाने सुरेश डरा क्यों नहीं। उसने मोबाइल में सब रिकॉर्ड करना चाहा। तभी पीछे से उसके सिर में किसी ने तेजी से मार दिया वह बेहोश होने लगा मगर उससे पहले उसने मोबाइल में एक बटन दबा दिया और फिर बेहोश हो गया। आधे घंटे के अंदर वह पुलिस की बड़ी बड़ी गाड़ी आ गई। उन्होंने सुरेश को उठाया और एम्बुलेंस से हॉस्पिटल भेज दिया। Bhutiya Kahani in Hindi
वहां अपने टॉर्च लाइट से लोगों की खोज करने लग रहे थे। ऊपर लोग अभी भी उड़ रहे थे और उनमें टॉर्च की लाइट आर पास हो रही थी। इतनी देर में किसी पुलिसवाले को लाइट बटन मिल गया। उसने तुरंत पुलिस लाइट चालु कर दी। सारे भूत गायब हो गए। कमरे के बीच में एक 3D प्रोजेक्टर पड़ा था। पुलिस ऑफिसर ने सब सील कर लिया और कमरे में खोजबीन करने पर ढाबा मालिक और उसके नौकर पकड़े गए उनके पास से श्मशान से लाए हुए कंकाल और कुछ मुर्दों की खोपड़ियां भी बरामद हुई। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया।
अगले दिन हॉस्पिटल में सुरेश को मीडिया वालों के कैमरे ने घेर रखा था। एक पत्रकार ने सवाल किया
पत्रकार – सर, आपको कैसे पता चला कि भूतिया ढाबा के नाम पर स्कैम चल रहा है। आपने कैसे इसका पर्दाफाश किया।
सुरेश – जब मैंने उस दिन वो मालगाड़ी देखी थी। तभी मुझे समझ में आ गया था
फिर मैंने अपने मित्र रमेश से बोला वह पुलिस में बड़ा ऑफिसर है तब हमने मिलकर एक योजना बनाई जिसमें एक तरफ से वह अपनी टीम लेकर आ रहा था और दूसरी तरफ से मैने अपने मोबाइल का लोकेशन ऑन किया था मैं जहा जहा जा रहे था सब कंट्रोल रूम से मोनिटर किया जा रहा था। उधर से कोयला चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़े गए। और यह लोग इतना चालाक हैं कि लोगों को पहले ही खाने में नींद की दवाई दे देते हैं और अगर कोई आ जाए। तो प्रोजेक्टर लगाकर लोगों को डराते थे जिससे कोई बच नहीं पाता था। Bhutiya kahani
सुरेश को इस बहादुरी के लिए एक लाख रुपए का इनाम देती है।
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